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Last Chance: हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद नवनीत राणा और उनके पति को दिया आखिरी मौका, जाने क्या है मामला

Nilmani Pal
25 Jun 2024 6:24 PM GMT
Last Chance: हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद नवनीत राणा और उनके पति को दिया आखिरी मौका, जाने क्या है मामला
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MUMBAI मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद और भाजपा नेता नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को चेतावनी दी कि अगर याचिका पर सुनवाई के लिए कोई स्थगन मांगा गया तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह उनके लिए आखिरी मौका है, ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि उनकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हो. जस्टिस एसएम मोदक की बेंच नवनीत राणा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने 2022 के हनुमान चालीसा प्रकरण के बाद मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की थी.
2022 में एक सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए तत्कालीन निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. नवनीत राणा के खिलाफ यह मामला खार पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दर्ज किया गया था.
आरोप है कि दोनों (नवनीत और रवि) ने 23 अप्रैल 2022 को गिरफ्तारी का विरोध किया और पुलिसकर्मियों के काम में बाधा पहुंचाई, जो महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा पाठ की घोषणा के बाद उनके खार स्थित आवास पर गए थे. हनुमान चालीसा विवाद में भी मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मुंबई पुलिस ने उस मामले में दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है. नवनीत राणा को इस मामले में 2022 में गिरफ्तार किया गया था और करीब एक महीने तक जेल में रखा गया था. दोनों ने मामले से बरी करने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जिसे विशेष सत्र न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने खारिज कर दिया था.
हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में नवनीत और रवि राणा ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप पूरी तरह से झूठे हैं और FIR देरी से दर्ज की गई है और जांच में गड़बड़ी है. नवनीत राणा ने अपनी याचिका में कहा कि पुलिस ने दावा किया था कि वे खार में दर्ज हनुमान चालीसा मामले में दोनों को गिरफ्तार करने गए थे, तो दोनों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की और इस तरह IPC की धारा 353 के तहत मामला दर्ज किया गया. हालांकि नवनीत राणा ने तर्क दिया कि वास्तव में खार पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार करने के लिए कोई FIR दर्ज ही नहीं की थी और इस तरह वे नवनीत राणा के घर पर आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहे थे.
18 जनवरी को नवनीत राणा को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि निचली अदालत नवनीत राणा के खिलाफ सुनवाई और आरोप तय करने की प्रक्रिया को अगली तारीख तक के लिए टाल दे. हालांकि, अगली तारीख यानी 21 फरवरी को समय की कमी के कारण याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी. इसके बाद 3 अप्रैल को याचिका सूचीबद्ध होनी थी, लेकिन सूचीबद्ध नहीं हुई. इसलिए 18 अप्रैल को नवनीत राणा के वकील ने राहत की अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए न्यायालय का रुख किया. कोर्ट ने राहत की अवधि को 8 मई तक बढ़ा दिया था, हालांकि 8 मई को फिर से याचिका सूचीबद्ध नहीं हुई, इसलिए नवनीत राणा के वकीलों ने राहत की अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए 9 मई को फिर से न्यायालय का रुख किया. 9 मई को राहत देते हुए जस्टिस मोदक ने कहा कि ऐसा लगता है कि आरोपी (राणा) की ओर से भी कुछ ढिलाई बरती गई है. दो मौकों पर मामला सूचीबद्ध नहीं किया गया और अंतरिम राहत की अवधि तत्काल नहीं मांगी गई.
बेंच ने कहा कि अपवाद के तौर पर मैं अंतरिम राहत बढ़ा रहा हूं, उस आदेश में बेंच ने कहा था कि अगर निकट भविष्य में पुनरीक्षण पर बहस नहीं की जाती है, तो यह न्यायालय अंतरिम संरक्षण नहीं बढ़ाएगा. हालांकि, 25 जून को जब याचिका सुनवाई के लिए आई, तो नवनीत राणा के वकील ने बीमार होने का बहाना बनाया और एक जूनियर वकील ने स्थगन और राहत की अवधि बढ़ाने की मांग की. इस मुद्दे के कारण ही बेंच ने कहा कि नवनीत राणा को अपनी याचिका पर सुनवाई के लिए यह आखिरी मौका दिया जा रहा है और याचिका की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.
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